इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण को लेकर अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने कल मंगलवार को अपने एक फैसले में धर्मांतरण के बाद अनुसूचित जाति का दर्जा बनाए रखने को संविधान के साथ धोखाधड़ी के समान करार दिया. साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह यह ध्यान रखे कि दूसरे धर्म में जाने वाले लोग अनुसूचित जाति से जुड़े फायदे न ले सकें. ईसाई धर्म को स्वीकार करते ही SC से संबंधित मिलने वाली सभी सुविधाएं बंद हो जानी चाहिए.
हाई कोर्ट ने अपने फैसले के साथ ही उत्तर प्रदेश के पूरे प्रशासनिक तंत्र को यह तय करने का निर्देश दिया कि धर्मांतरण के बाद ईसाई बनने वाले लोग अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले लाभ लेते न रहें. कोर्ट ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को यह तय करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश भी दिया कि अल्पसंख्यक दर्जा और अनुसूचित जाति के दर्जे के बीच अंतर को सख्ती से लागू किया जाए.
कार्रवाई के लिए समयसीमा भी तय
साथ ही हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में सभी जिलाधिकारियों के लिए ऐसे मामलों की पहचान कर उनकी रोकथाम के लिए कानून के मुताबिक कार्रवाई करने के लिए 4 महीने की समयसीमा तय कर दी है. जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि ने जितेंद्र साहनी नाम के शख्स की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह निर्देश जारी किया.